: साहित्य समाचार:
मध्य प्रदेश लघु कथाकार परिषद् : २६ वाँ वार्षिक सम्मेलन
जबलपुर, २०-२-२०११,
अरिहंत होटल, रसल चौक, जबलपुर
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' व अन्य लघुकथाकार सम्मानित होंगे
जबलपुर. लघुकथा के क्षेत्र में सतत सक्रिय रचनाकारों कर अवदान को प्रति वर्ष सम्मानित करने हेतु प्रसिद्ध संस्था मध्य प्रदेश लघु कथाकार परिषद् का २६ वाँ वार्षिक सम्मेलन अरिहंत होटल, रसल चौक, जबलपुर में २०-२-२०११ को अपरान्ह १ बजे से आमंत्रित है.
परिषद् के अध्यक्ष मो. मोइनुद्दीन 'अतहर' तथा सचिव कुँवर प्रेमिल द्वारा प्रसरित विज्ञप्ति के अनुसार इस वर्ष ७ लघुकथाकारों को उनके उल्लेखनीय अवदान हेतु सम्मानित किया जा रहा है.
ब्रिजबिहारीलाल श्रीवास्तव सम्मान - श्री संजीव वर्मा 'सलिल', जबलपुर.
सरस्वती पुत्र सम्मान - श्री पारस दासोत जयपुर.
रासबिहारी पाण्डेय सम्मान - श्री अनिल अनवर, जोधपुर.
डॉ. श्रीराम ठाकुर दादा सम्मान - श्री अशफाक कादरी बीकानेर.
जगन्नाथ कुमार दास सम्मान- श्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार दुबे, जबलपुर.
गोपालदास सम्मान - डॉ. राजकुमारी शर्मा 'राज', गाज़ियाबाद.
आनंदमोहन अवस्थी सम्मान- डॉ. के बी. श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर- मो. मोइनुद्दीन 'अतहर', जबलपुर.
कार्यक्रम प्रो. डॉ. हरिराज सिंह 'नूर' पूर्व कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अध्यक्षता, प्रो. डॉ. जे. पी. शुक्ल पूर्व कुलपति रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के मुख्यातिथ्य तथा श्री राकेश 'भ्रमर', श्री अंशलाल पंद्रे व श्री निशिकांत चौधरी के विशेषातिथ्य में संपन्न होगा.
इस अवसर पर मो. मोइनुद्दीन 'अतहर' द्वारा सम्पादित परिषद् की लघुकथा केन्द्रित पत्रिका अभिव्यक्ति के जनवरी-मार्च २०११ अंक, श्री कुँवर प्रेमिल द्वारा सम्पादित प्रतिनिधि लघुकथाएँ २०११ तथा श्री मनोहर शर्मा 'माया' लिखित लघुकथाओं के संग्रह मकड़जाल का विमोचन संपन्न होगा.
द्वितीय सत्र में डॉ. तनूजा चौधरी व डॉ. राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' लघु कथा के अवदान, चुनौती और भविष्य विषय पर विचार अभिव्यक्ति करेंगे.
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http://divyanarmada.blogspot.com
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आचार्य श्रेष्ठ को
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम ||
(आदरणीय प्रतुल-वशिष्ठ जी का आभार जो आपके दर्शन हुए )
दीखते हैं मुझे सब दृश्य अति-मनोहारी,
कुसुम-कलिकाओं से गंध तेरी आती है |
कोकिला की कूक में भी स्वर की सुधा सुन्दर,
प्यार की मधुर टेर सारिका सुनाती है |
देखूं शशि छबि जब, निहारूं अंशु सूर्य के -
मोहक छटा उसमे तेरी ही दिखाती है |
कमनीय कंज कलिका विहस 'रविकर'
पावन रूप-धूप का सुयश फैलाती है ||
मेरा परिचय --
वर्णों का आंटा गूँथ-गूँथ, शब्दों की टिकिया गढ़ता हूँ|
समय-अग्नि में दहकाकर, मद्धिम-मद्धिम तलता हूँ||
चढ़ा चासनी भावों की, ये शब्द डुबाता जाता हूँ |
गरी-चिरोंजी अलंकार से, फिर क्रम वार सजाता हूँ ||